बिहार से एक बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है, जिसने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। अपनी धुनों से लाखों दिलों को जीतने वाली आवाज़ अब राजनीतिक अखाड़े में उतर गई है। हम बात कर रहे हैं बिहार की लोकप्रिय गायिका मैथिली टैगोर की, जिन्होंने आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है।
बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने एक भव्य समारोह में उन्हें पार्टी में शामिल किया। इस महत्वपूर्ण समारोह में राष्ट्रीय जनता दल के विधायक भरत बिंद भी भाजपा में शामिल हुए, जिसने राजनीतिक गलियारों में खूब सुर्खियाँ बटोरीं।
मैथिली टैगोर का भाजपा में शामिल होना सिर्फ़ एक कलाकार का पार्टी में शामिल होना नहीं है, इसे भाजपा के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। उनकी लोकप्रियता, खासकर युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं के बीच, पार्टी के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकती है। उनकी सादगी, लोगों से जुड़ाव और सांस्कृतिक पहचान भाजपा को एक नई दिशा दे सकती है। तो चलिए बात करते हैं मैथिली टैगोर की।
मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी ज़िले के बेनी पट्टी इलाके में हुआ था। उनके पिता रमेश ठाकुर एक संगीतकार हैं और उनकी माँ पूजा ठाकुर एक गृहिणी हैं। घर के संगीतमय माहौल ने मैथिली को घर पर ही रियाज़ और राघव की भाषा सीखने का मौका दिया। यह कहना गलत नहीं होगा कि संगीत उनके खून में है। उनके दो भाई ऋषभ और आया ठाकुर भी संगीत की दुनिया में सक्रिय हैं।
ये तिकड़ी अक्सर साथ में लाइव परफॉर्म करती है और उनके गाने सोशल मीडिया पर लाखों लोगों तक पहुँच चुके हैं, जिससे कुल मिलाकर लाखों दर्शक मिल रहे हैं। मैथिली न केवल एक गायिका हैं, बल्कि एक उच्च शिक्षित और बुद्धिमान युवा कलाकार भी हैं।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में ही प्राप्त की। हालाँकि, कुछ वर्षों बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया, जहाँ उन्होंने बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज से स्नातक किया। उन्होंने संगीत और शिक्षा के बीच संतुलन बनाने में महारत हासिल की है, जो उनकी परिपक्वता का प्रमाण है। मैथिली टैगोर को उनके संगीत और योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं।
2004 में, बिहार सरकार ने उन्हें राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया। इससे पहले, उन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो किसी भी युवा कलाकार के लिए एक अत्यंत प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
मैथिली टैगोर न केवल मंच पर, बल्कि सोशल मीडिया पर भी सुपरस्टार हैं। उनके यूट्यूब चैनल पर लाखों व्यूज़ और लाखों फॉलोअर्स हैं। उनके प्रशंसक उन्हें प्यार से बिहार की जूनियर नाइटिंगेल कहते हैं।
मैथिली हो, भोजपुरी हो या हिंदी, मैथिली की आवाज़ दिल को छू जाती है। उनके गीतों में लोकगीतों की मिठास और उनकी सादगी साफ़ झलकती है, जो उन्हें भीड़ से अलग करती है। अब मैथिली ठाकुर के राजनीति में आने से बिहार के चुनावी परिदृश्य में एक नया आयाम जुड़ गया है। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 71 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। इस सूची में कुछ चौंकाने वाले फैसले भी हैं। कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं दिया गया, तो कुछ नए और कद्दावर चेहरों को मौका दिया गया है।
सबसे बड़ी खबर ये है कि विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव का टिकट काट दिया गया है। कुंवरहार से अरुण सिंह का भी टिकट काट दिया गया है। इस बार टीम ने कई दिग्गज खिलाड़ियों को आराम देकर युवाओं को मौका देने की कोशिश की है।
इस सूची से साफ़ ज़ाहिर है कि भाजपा ने अनुभव और युवा जोश के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हुए सोच-समझकर फ़ैसला लिया है। देखना होगा कि चुनावों में यह रणनीति कितनी कामयाब होती है।