मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने से वैश्विक विवाद छिड़ा

Din Samachar-दिन समाचार
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मारिया कोरिना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने के निर्णय से दुनिया भर में विवाद की लहर दौड़ गई है।

2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है। हालाँकि, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला तब से ही विवादों में रहा है। हालाँकि नोबेल समिति ने उन्हें तानाशाही के खिलाफ खड़े होने और लोकतंत्र के लिए लड़ने के लिए सम्मानित किया, लेकिन कई लोग उन्हें यह पुरस्कार देने के फैसले की आलोचना कर रहे हैं।

आलोचकों का कहना है कि नोबेल समिति ने शांति की बजाय राजनीति को प्राथमिकता दी और मारिया के अतीत और उनके भाषण को नज़रअंदाज़ कर दिया। मारिया करीना मचाडो के इज़राइल समर्थक रुख़ पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने बार-बार इज़राइल द्वारा गाज़ा पर बमबारी का समर्थन किया है और इसे आत्मरक्षा का अधिकार बताया है।

उनके पिछले सोशल मीडिया पोस्ट भी गाजा में हुए नरसंहार जैसी घटनाओं को नज़रअंदाज़ करते हैं और खुलेआम इज़राइल की तारीफ़ करते हैं। एक बयान में उन्होंने यहाँ तक कहा कि वेनेज़ुएला का संघर्ष इज़राइल जैसा ही है, और अगर वे सत्ता में आते हैं, तो वे इज़राइल की आज़ादी का पूरा समर्थन करेंगे।

इस बयान पर विवाद छिड़ गया है और अब अरब और मुस्लिम देशों में उनकी आलोचना तेज़ हो गई है। यह अकेला विवाद नहीं है। मारिया पर अपने देश में सत्ता परिवर्तन के लिए विदेशी ताकतों की मदद लेने का भी आरोप है। 2018 में, उन्होंने इज़राइल और अर्जेंटीना को पत्र लिखकर राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को हटाने में मदद मांगी थी।

आलोचकों का कहना है कि अगर मारिया विदेशी हस्तक्षेप की वकालत करती हैं, तो लोकतंत्र आंदोलन की नेता को शांति का प्रतीक कहना अनुचित है। अमेरिका स्थित मुस्लिम अधिकार समूह, काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस ने नोबेल समिति को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। उनका तर्क है कि मारिया को पुरस्कार देने से नोबेल की छवि को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है।

अमेरिकी राजनीति अब इस बहस में एक अहम पहलू बन गई है। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से पहले, डोनाल्ड ट्रंप को उम्मीद थी कि उन्हें यह पुरस्कार मिलेगा क्योंकि उन्होंने कई युद्ध रोके थे। उनका ऐसा मानना ​​था।

उन्होंने कहा कि ओबामा को बिना कुछ किए नोबेल पुरस्कार मिल रहा है। दरअसल, ओबामा के कार्यकाल का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ओबामा ने बिना कुछ किए ही नोबेल शांति पुरस्कार जीत लिया। ओबामा ने देश को बर्बाद कर दिया। दरअसल, उन्हें लगा कि यह पुरस्कार उन्हें मिलना चाहिए।

लेकिन जब मारिया को यह पुरस्कार दिया गया, तो ट्रंप ने दावा किया कि मारिया ने उन्हें फ़ोन किया और यह पुरस्कार समर्पित किया। ट्रंप ने कहा कि मारिया ने उन्हें फ़ोन किया और कहा, “मैं आपके लिए यह सम्मान स्वीकार कर रही हूँ क्योंकि आप वाकई इसकी हक़दार हैं।” ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने संकट के दौरान वेनेज़ुएला की काफ़ी मदद की थी।

इस बीच, व्हाइट हाउस ने नोबेल समिति की आलोचना करते हुए इसे राजनीतिक और पक्षपातपूर्ण फ़ैसला बताया है। इस बीच, इस बात पर अंतरराष्ट्रीय बहस शुरू हो गई है कि क्या नोबेल समिति को मारिया करीना मचाडो से यह सम्मान वापस ले लेना चाहिए।

क्योंकि उन्हें लोकतंत्र के रक्षक के रूप में तो सम्मानित किया जाता है, लेकिन उनके विचार और राजनीतिक झुकाव शांति के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं। इसीलिए शांति के नाम पर दिया जाने वाला यह सम्मान अब स्वयं विवाद, वैचारिक संघर्ष और अंतर्राष्ट्रीय ध्रुवीकरण का प्रतीक बनता जा रहा है।

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